एम्स में जांच पूरी होने के बाद नागरिकों को समनपुरा स्थित बेलाल मस्जिद में भेजा गया। अप्रैल के पहले हफ्ते में ये सभी भारत से वापस जायेंगे। धर्म प्रचार के लिये ये सभी चार मार्च को ही पटना में आये थे। अलग-अलग जगहों पर रहने के बाद ये कुर्जी स्थित मस्जिद में पहुंचे। चार माह पहले पहुंचे थे भारत पुलिस ने इन सभी का पासपोर्ट व वीजा चेक किया। अब तक की तफ्तीश में यह बात सामने आयी है कि चार महीने पहले ये सभी भारत आये थे। इसके बाद मुंबई और दिल्ली में ठहरने के बाद कुछ दिनों पहले सभी पटना में पहुंचे। फुलवारीशरीफ सहित कई जगहों पर ये विदेशी लोग गये और धर्म प्रचार किया।
तबलीगी जमायत नाम की संस्था के द्वारा सभी भारत आये थे। पटना में उसका मुख्यालय अशोक राजपथ पर है। यहीं से सभी को अलग-अलग जगहों में जाकर धर्म प्रचार करने को कहा जाता है। मारुती वैन और टेंपो से भेजे गये एम्स कोई सुविधा नहीं होने के कारण सभी विदेशियों को मारुती वैन और टेंपो से एम्स भेजा गया। इन सभी में किसी ने भी मास्क नहीं पहना था। लोगों का कहना है कि जब कोरोना जैसी भयानक महामारी फैली हुई है तब इन विदेशियों को आना ही नहीं चाहिये था।
भयभीत हैं स्थानीय लोग
कोरोना जैसे खतरनाक वायरस के फैलने को लेकर और विदशियों के इलाके में होने से स्स्थानीय लोग खौफजदा हैं। उन्हें डर है कि अगर इन विदेशियों में किसी को भी संक्रमण हुआ तो वह इलाके में फैल सकता है।